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डब्ल्यूएचओ ने नहीं कही कोरोनावायरस के कमजोर पड़ने वाली बात, सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे दावे झूठे {br} https://ift.tt/3e9oMIJ

क्या वायरल : सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ ने कहा है : कोरोना वायरस अब कमजोर पड़ने लगाहै। फेसबुक पर इस तरह की पोस्ट शेयर की जा रही हैं https://www.facebook.com/abdulmajid.rahimi.1/posts/2813874828722239 https://www.facebook.com/zia.shams.3/posts/10215781716446450 फैक्ट चेक पड़ताल दावे से जुड़े अलग-अलग कीवर्ड्स से गूगल सर्च करने पर द रायटर्स की वेबसाइट पर 1 जून की एक खबर मिली। यहां भी कोरोना वायरस के कमजोर पड़ने की बात कही गई है। लेकिन, डब्ल्यूएचओ के हवाले से नहीं बल्कि इटली के डॉक्टर के हवाले से। संभवत: यहीं से कोरोना वायरस के कमजोर पड़ने की बात को उठाकर डब्ल्यूएचओ के हवाले से शेयर किया जाने लगा। https://www.reuters.com/article/us-health-coronavirus-italy-virus-idUSKBN2370OQ पड़ताल के दौरान हमें यूट्यूब पर 1 जून का एक वीडियो मिला। यह वीडियो एएफपी न्यूज एजेंसी ने अपलोड किया है। इसमें डब्ल्यूएचओ के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर माइकल रेयान का एक बयान है। इसमें वे कह रहे हैं - ‘कोरोना अभी भी एक जानलेवा वायरस है। अब भी रोजाना हजारों लोग इससे मर रहे हैं। हमें य...

मास्क के साथ सांस लेने का तरीका भी अहम, सिर्फ नाक से सांस लेने से ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन बेहतर होंगे {br} https://ift.tt/2N3pX0L

दुनियाभर में कोरोना की शुरुआत लोगों में सांस लेने की दिक्कतों से शुरू हुई थी। संक्रमण रोकने के लिए हमें तब तक मास्क पहनना होगा, जब तक वैक्सीन नहीं बन जाता। लेकिन अब मास्क की वजह से भी सामान्य रूप से सांस लेने में दिक्कत हो रही है। लेकिन इससे चिंतित होने की कोई वजह नहीं है। इसका हल यह है कि हमें अपने स्वास्थ्य को भी बेहतर करना है और क्षमता भी बढ़ानी है। मैं ब्रुकलिन में साइकिल चलाते हुए देखता हूं कि कई लोग मास्क तो लगाते हैं, लेकिन गले में। वे उसे तभी मुंह और नाक पर लगाते हैं, जबकि किसी दूसरे व्यक्ति के पास से गुजरते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हम अपनी मांसपेशियों, दिमाग और अन्य अंगों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचा पा रहे हैं। कहीं मास्क इसमें रुकावट तो नहीं बन रहे। ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि सांस लेने की प्रक्रिया कितनी प्रभावी है। सांसों के विशेषज्ञ कहते हैं कि ज्यादातर लोग गलत तरीके से सांस लेते हैं या पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं खींचते। वहीं एक नई किताब- ब्रेथ: द न्यू साइंस ऑफ ए लॉस्ट आर्ट के लेखक डॉ. जेम्स नेस्टर कहते हैं,"आप सांस कैसे लेते हैं यह मायने रखता ह...

5 महीने में वुहान के लड़के का वजन 177 से बढ़कर 278 किलो हुआ, 10 लोगों ने हॉस्पिटल तक पहुंचाया {br} https://ift.tt/3ea9VxZ

लॉकडाउन में वजन बढ़ने के मामले सामने आ रहे हैं लेकिन कोरोना के गढ़ वुहान का मामला चौकाने वाला है। यहां 5 महीने के लॉकडाउन के दौरान 26 साल के झाउ का वजन 101 किलो तक बढ़ गया है। अब उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। झाउ एक सायबर कैफे में काम करते हैं। वह पहले ही बढ़ते वजन से परेशान थे लेकिन चीन में सख्ती से लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान वजन और तेजी से बढ़ता गया। दिसम्बर में 177 किलो था वजन : दिसम्बर में झाउ का वजन 177 किलो था। लॉकडाउन के दौरान पिछले 5 महीनों में इनका वजन 278 किलो तक पहुंच गया। 8 अप्रैल को जब चीन में लॉकडाउन हटाया गया तो झाउ अपने बढ़े हुए वजन के कारण चल-फिर नहीं पा रहे थे। सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। 48 घंटे तक नींद नहीं आई : वुहान युनिवर्सिटी के झॉन्गनेन हॉस्पिटल में झाउ का इलाज करने वाले डॉक्टर का कहना था कि 31 मई को हमें मरीज की कॉल आई थी। झाउ का कहना था कि मुझे पिछले 48 घंटे से नींद नहीं आ रही। सांस लेने में दिक्कत हो रही है और बमुश्किल ही बात कर पा रहा हूं। अगले ही दिन हेल्थ वर्करों की टीम उनके घर पहुंची थी। 10 लो...

रिसर्च से पता चला- वायरस का संक्रमण 3 स्टेज में फैलता है, हर स्टेज के लक्षण और इलाज दोनों अलग-अलग {br} https://ift.tt/2YKfCfx

इटली के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 की तीन फेज बताई हैं, हेल्थ वर्करों से गुजारिश की है कि कोरोना के मरीजों इलाज संक्रमण की स्टेज में दिख रहे लक्षणों के आधार पर करें। रिसर्च करने वाली इटली की फ्लोरेंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मरीज में संक्रमण तीन स्टेज में सामने आता है और सभी स्टेज में लक्षण बदलते हैं। जर्नल फिजियोलॉजिकल रिव्यू में प्रकाशित शोध के मुताबिक, कोविड-19 के हर फेज में कोरोना और शरीर की अंदरूनी क्रियाओं का कनेक्शन बदलता है। जरूरी नहीं हर बार कोविड-19 ड्रॉप्लेट्स से ही फैले, कुछ मामलों में संक्रमित व्यक्ति के दूसरे असावधान लोगों से बात करने से भी कोरोना का संक्रमण फैल सकता है। पहली स्टेज में वायरस खुद को इंसानी शरीर में इम्यून सेल्स से लड़ने के लिए तैयार करता है। इस अवस्था में लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लगते हैं। तीन स्टेज से समझें कोविड-19 कैसे बढ़ता है पहली स्टेज : यह सबसे शुरुआती स्टेज होती है। कोरोनावायरस शरीर में अपनी संख्या बढ़ाना शुरू करता है और इस दौरान हल्के लक्षण दिखते हैं। जो अक्सर भ्रमित करते हैं कि मरीज फ्लू का रोगी...

खाने के लिए खरीदे बतख के अंडों को गर्मी दी तो पैदा हो गए चूजे, लंदन की चार्ली ने किया था टाइमपास एक्सपेरिमेंट {br} https://ift.tt/3d5GkEn

उत्तरी लंदन के हर्टफोर्डशायर में रहने वाली29 साल की महिला चार्ली लेलोइन दिनों चर्चा में हैं। उन्होंने सुपरमार्केट से लाएअंडों सेबिना मां बतख के चूजे पैदा किए हैं। चार्ली नेगर्मी देने वाली इनक्यूबेटर मशीन की मदद सेकरके चूजों की हैचिंगकरके अंडों को खाने, या न खाने को लेकरबहस खड़ीकर दीहै। माना जाता है कि आमतौर पर घरों में जो अंडे खाए जाते हैं वे निषेचित नहीं होते हैं। उन्हें पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया से भी गुजारा जाता है जिससेउनसे चूजे निकलना संभव नहीं होता। ऐसे में लोग सोशल मीडिया पर इस खबर के बहाने बहस कर रहे हैं कि,क्या सामान्य अंडों में निषेचित यानि फर्टिलाइज्ड अंडे भी मिले होते हैं? कुछ लोग कह रहे हैं कि आज से अंडे खाना बंद,और कुछ का कहना है कि जानवरों को बचाने वालेPETA जैसे संगठनों को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। उधर, सुपर मार्केटकम्पनी के प्रवक्ता ने कहा है कि,फर्टिलाइज्ड अंडे भी सामान्य अंडों की ही तरह खाने के लिहाज से सुरक्षित हाेते हैं। फोटो स्टोरीमेंचार्ली के एक्सपेरिमेंट और तीन चूजों की पूरी कहानी। लॉकडाउन के दौरानघर में समय बिता रहीं चार्ली कुछ नया करने के लिए ब्रिटिश सुप...

17 एक्टपर्ट्स ने कहा- वायरस से स्वस्थ लोग भी शुगर के मरीज बन सकते हैं, पुराने मरीजों पर 30% ज्यादा खतरा {br} https://ift.tt/3cZW1wU

कोविड-19 स्वस्थ लोगों में डायबिटीज की वजह भी बन सकता है और जो पहले से डायबिटीज से जूझ रहे हैं उनकी हालत और बिगाड़ सकता है। दुनियाभर के 17 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम के पैनल ने दुनियाभर के कई मामलों पर रिसर्च के बादये बात कही है। अब तक हुए क्लीनिकल ट्रायल में कोविड-19 और डायबिटीज के बीच ये महत्वपूर्णकनेक्शन ढूंढ़ागया है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिसर्चके मुताबिक, डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों में कोविड-19 होने पर हालत और भी नाजुक हो जाती है, ऐसे मरीजों की मौत का खतरा 30 फीसदी तक बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठनने हाल ही में कहा था कि ऐसे लोग जो पहले से हृदय रोग, अस्थमा और डायबिटीज से जूझ रहे हैं वो हाई रिस्क जोन में हैं। इन्हें कोरोना के संक्रमण का खतरा सबसेज्यादा है। (रिपोर्ट को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है) ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म से जुड़े अंगों पर कोरोना का असर शोधकर्ताओं का कहना है कि हालिया शोध बताते हैं कि जब कोरोनावायरस शरीर में ACE-2 रिसेप्टर को जकड़कर संक्रमण फैलाता है तो सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं जकड़ता बल्कि, ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में शामिल ऊतकों और अंग...

कोरोना के दर्द की 10 फोटो जिनमें सिर्फ जगहें बदल गईं, लेकिन अपनों को आखिरी अलविदा कहना कोई नहीं चाहता था {br} https://ift.tt/2MSKDZd

ग़ालिब ने लिखा था- हमने माना कि तगाफुल * न करोगे लेकिन, खाक हो जाएंगे हम तुमको खबर होने तक ... (*तगाफुल - नजरअंदाज करना )...वाकई, आज कोरोना से मरने वालों की यही हालत है। चाहकर भी लोग अपनों को वक्त से पहले अलविदा कहने को मजबूर हैं। और लाचारी ऐसी कि, न तो आखिरी बार चेहरा देख पाते हैं और न ही ठीक से सुपुर्द-ए-खाक कर पाते हैं। दुनियाभर में हालात और ज्यादा मनहूस होते जा रहे हैं।लोग जीते जी कोरोना के संक्रमण से नहीं बच पाए और मरने के बाद लाशों को दफनाने के लिए जगह कम पड़ गई है। लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील के हालात ऐसे ही हैं। यहां केशहरसाओ पाउलो में तीन साल पुरानी कब्र को खोदकर हडि्डयां निकाली जाएंगी और नई लाशों को दफनाया जाएगा। दुनियाभर से ली गईं अपनों से अंतिम विदाई की 10 फोटो जो बताती हैं कि इस दर्द की इंतेहा नहीं। 'कोविड-19 कब्रिस्तान' : 7 जून 2020 को ली गई यह फोटो त्रिनिदाद की है। यहां ऐसा कब्रिस्तान भी है, जहां केवल कोविड-19 के मरीजों की मौत के बाद उन्हें दफनाया जा रहा है। इसे 'कोविड-19 कब्रिस्तान' का नाम दिया गया है। अपनों की विदाई के अंतिम समय में भी पूरे परिवार क...

कोरोना मरीज के दोनों फेफड़े बदलने वाले मेरठ में जन्में डॉक्टर अंकित ने कहा- वायरस को हरा सकते हैं, पर मिलकर लड़ना होगा {br} https://ift.tt/3e1fDSL

मेरठ में जन्मेंथोरेसिक स्पेशलिस्टडॉक्टर अंकित भरत के नेतृत्वमें पहली बार किसीकोरोना मरीज के दोनों फेफड़ेट्रांसप्लांट किए गए हैं। अमेरिका के शिकागो के नार्थ-वेस्टर्न मेमोरियल हॉस्पिटल में किए गए इस काम की इसलिए चर्चा है क्योंकिकोरोनावायरस सबसे पहले फेफड़ों को ही निशाना बनाता है।उनके हॉस्पिटल में यह सर्जरी 5 जून को की गई थी लेकिन मरीज की कंडीशन के तमाम पहलुओं को देखते हुए इसकी सफलता की घोषणा एक हफ्ते बाद की गई। हॉस्पिटल ने इसे एक माइलस्टोन बताया है। दुनियाभर के वैज्ञानिक भारत के एक डॉक्टर परिवार के बड़े बेटेअंकित को बधाई देते हुए इस सर्जरी को इसलिए महत्वपूर्ण बता रहे हैं क्योंकि इसके बाद वेंटिलेटर पर तड़प रहे गंभीर रोगियों को ट्रांसप्लांट के जरिये बचाने की उम्मीद जगी है। हर साल करीब 50 लंग ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टर अंकित के पास दुनियाभर से कॉल आ रहे हैं और ऐसे ट्रांसप्लांट की चाह रखने वालेमरीजों की लिस्ट लम्बी होती जा रही है। शिकागो केहॉस्पिटल के लंग्स ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के डायरेक्टर और सर्जन डॉक्टरअंकित भरत ने दैनिकभास्कर की ओर से भेजे गएसवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया, सर्जर...

85% जलने के बाद भी बची कैरल के फोटो की प्रदर्शनी अंतरिक्ष में लगेगी, 200 फोटोज को अनंत यात्रा पर भेजा जाएगा {br} https://ift.tt/2UEGdcw

येहैं ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली53 वर्षीय कैरल मेयर। पहली नजर में इनफोटोज को देखकर आप एक पल के लिएविचलित हो सकतेहैं, लेकिन आपको इनफोटोज को इसलिए गौर से देखना चाहिए क्योंकि सितंबर में इनकीप्रदर्शनीअंतरिक्ष में लगाई जाएगी। इन तस्वीरों को पोर्ट्रेट ऑफ ह्यूमैनिटी 2020 कॉन्टेस्ट के लिए चुना गया है जिसका मकसद पूरे यूनिवर्स कोमानव जाति की ओर से शांति औरएकता का संदेश देना है। धरती से अनंत की यात्रा करेंगे 200 फोटोज दुनियाभर के बेस्ट फोटोज की इस कॉन्टेस्ट का आयोजन'पोर्ट्रेट ऑफ ह्यूमैनिटी' ब्रिटिश जर्नल ऑफ फोटोग्राफी के प्रकाशक1854 मीडिया कम्पनीकरातीहै। बीते साल अक्टूबर में इसके नॉमिनेशन शुरू हुए थे जो 21 जनवरी 2020 तक चले। अब इन 200 फोटोजको सितंबर 2020 में धरती के ऊपर स्ट्रैटोस्फियर में एक स्क्रीन के जरिये प्रदर्शित किया जाएगा और फिर बाइनरी अंकों में भी एनकोड करके सुदूर अंतरिक्ष यानी ऑउटर स्पेस में भेजा जाएगा। बाइनरी कोड में फोटोज एलियन सभ्यता तक पहुंचेंगे आयोजकों का कहना है कि इन चित्रों को संख्याओं में बदलकर "मानव जाति की ओर से अनंत छोर तक शांति और एकता का संदेश" भेजा जाए...